भूतिया गाँव

 

 

 आज की कहानी एक ऐसे गाँव की हैं जो एक ट्रक चालक के कारण हादसे का शिकार हो गया और इसमें कई सारे लोग मारे गये थे.

 

प्रभात के पिता वाहन चालक हैं और उनकी गाड़ी में माल लद गया हैं, उनकी गाड़ी में जरूरी दवाइयाँ हैं. और उन्हें इसकी डिलीवरी जल्दी करनी हैं इसीलिए वे जल्दी रवाना होने की सोचते हैं. प्रभात की भी परीक्षाएं खत्म हो गईं हैं इसीलिए प्रभात भी अपने पिता के साथ जाने की बात करता हैं लेकिन उसके पिता उसे नहीं ले जाते हैं, प्रभात को मना कर देते हैं साथ में जाने के लिए. इन दवाइयों की अनलोडिंग उन्हें चन्द्रपुरा गाँव से 50 km दूर के शहर सिंघपुर के अस्पताल में करनी हैं. तीन दिन, चार रात का सफ़र हैं एक तरफ से. प्रभात के पिता प्रमोद और उनके साथ के गाड़ी वाले भी उस रास्ते में पहली बार जा रहे होते हैं, इसीलिए उन्हें इस रास्ते में आने वाली परेशानियो के बारे में नहीं पता होता हैं. वे सारी चीजों की तैयारी करने के बाद अपने घर से रवाना होते हैं सिंघपुर के लिए. तीन दिन के सफ़र के बाद प्रमोद, अपने गन्तव्य से से सिर्फ 300 km दूर होते हैं. तीसरे दिन के शाम में प्रमोद एक होटल पर नास्ता करने के लिए रुकते हैं. नास्ता कर लेने के बाद प्रमोद रात का खाना पार्सल करवा लेते हैं. और होटल वाले से सिंघपुर जाने का रास्ता पूछते हैं. वो बताता हैं कि इसी रास्ते पर उन्हें 6 गांव और दो शहर पार करने के बाद वहां से 100 km हीं दूर हैं सिंघपुर. प्रमोद सोचता हैं कि रात का सफ़र हैं अगर पूरी रात गाड़ी चला लेंगे तब वे सुबह ही सिंघपुर पहुँच जायेंगे, इसीलिए वो पूरी रात गाड़ी चलाने का तय करते हैं. होटल वाले के कहने- अनुसार प्रमोद रात के 2 बजे तक 200km की दूरी तय कर लेते हैं. कुछ दूर और जाने के बाद उन्हें राज्य-सरकार के सड़क विभाग द्वारा लगाया गया एक बोर्ड दिखाई देता हैं जिसपर सिंहपुर की दूरी 100 km अंकित होती हैं. उसके साथ हीं उसे एक by-pass का बोर्ड भी दिखाई देता हैं, और उस बोर्ड के अनुसार, उस सड़क से सिंघपुर की दूरी सिर्फ 80 km हैं. ये बोर्ड देखकर प्रमोद थोड़ा चौंक जाता हैं. क्यूंकि होटल वाले ने उसे इस रास्ते के बारे में कुछ नहीं जानकारी दी थी इसीलिए!

प्रमोद उसी by-pass वाले रास्ते का इस्तेमाल करते हैं सिंघपुर जाने के लिए. लगभग 25 km तक जाने के बाद प्रमोद को हैरानी होती हैं क्यूंकि अबतक ना तो उसे रात के अँधेरे में उसे कुछ नज़र आता हैं और ना हीं कोई गाड़ी सामने से आती-जाती नज़र आती हैं, शुरू से ही उसे उस रास्ते में कुछ अजीब लगता हैं. अचानक कुछ दूर जाने के बाद उसे रौशनी दिखाई पड़ती हैं. तभी अचानक उन दोनों के गाड़ी के चक्कों के फटने की आवाज आती हैं. वो रुक कर देखते हैं की उनके गाड़ी के 2 महत्वपूर्ण चक्के फट गये हैं. उन्हें बड़ी हैरानी होती हैं, क्यूंकि उनके गाड़ी के सारे चक्के एकदम नये थे और सड़क भी उतनी ख़राब नहीं थी तो ये हादसा हुआ कैसे! और दोनों के गाड़ियों के चक्के एक साथ फट गए. वो पास के दुकान पर जाते हैं, वहां एक आदमी(बंटी) सोया हुआ होता हैं, प्रमोद उसे उठाते हैं और अपने गाड़ी के चक्के दिखाते हैं. बंटी चक्के देखकर बोलता हैं-“ये तो बुरी तरह से फट गये हैं, इन्हें ठीक करने में 1-2 घंटे लग जायेंगे! आप तबतक मेरे दुकान में आराम कर लीजिये.” प्रमोद और उसकी बात मान लेता हैं. और पास के पान-दुकान से एक पान खरीद कर चबाता हैं. और कुछ देर आराम करता हैं. लगभग 1 घंटे बाद बंटी प्रमोद को जगाता हैं और चक्के ठीक हो जाने की बात करता हैं. प्रमोद, बंटी को उसके रूपए देता हैं और कुछ दूर जाकर एक पेट्रोल पंप में गाड़ी लगाकर दोनों सो जाते हैं, जहाँ और भी कई सारे गाड़ी लगे होते हैं. अगली सुबह जब उसकी नींद खुलती हैं तो वह हैरान हो जाता हैं. वो सिंघपुर से कुछ हीं दूर होता हैं.और वह उस पेट्रोल पंप में नहीं होता हैं, जहाँ उसने अपनी गाड़ी लगाई थी,एक पुराने खंडहर से पेट्रोल पंप में उसकी गाड़ी लगी होती हैं. गाड़ी से उतरकर जब वो फ्रेश होने जाता हैं तब वह देखता हैं कि उसके पुराने चक्के ही लगे होते हैं, वो भी एकदम नये जैसे. वो काफ़ी हैरान हो जाते हैं. जब अपने साथ के गाड़ी वाले को आस-पास देखते हैं तो उन्हें वो नही मिलता हैं, उन्हें लगता हैं कि वो पहले हीं सिंघपुर पहुँच गए हैं, इसीलिए वो भी निकल जाते हैं सिंघपुर के लिए. वहां पहुँच कर जब अपने साथ हुए हादसों के बारे में लोगो को जब बताते हैं तब वो लोग भी हैरान हो जाते हैं. क्यूंकि उनलोगों के अनुसार अबतक जितने भी गाड़ी वाले उस रास्ते से गये वो कभी जिन्दा वापस नहीं लौटे हैं. क्यूंकि उनलोगों का कहना हैं कि, आज के वर्तमान समय से लगभग 15 साल पहले चन्द्रपुरा नाम का एक गांव हाईवे किनारे हुआ करता था! लेकिन एक ट्रक हादसे के कारण पुरे गांव में आग लग गई थी और कई लोगो की मौत हो गई थी.  गांव में से हीं कई लोग हाईवे किनारे गाड़ियों के मरम्मत का काम करते थे. सारे उस हादसे का शिकार हो गये, और उनकी मृत्यु हो गई थी. प्रमोद इस घटना से काफ़ी डर जाते हैं. और वो अपने साथ के गाड़ी वाले को फोन करते हैं तो कोई फोन नहीं उठाता हैं. काफ़ी बार फ़ोन करने के बाद भी कोई फ़ोन नहीं रिसीव नहीं करता हैं और न हीं उधर से दुबारा फ़ोन आता हैं. प्रमोद और भी ज्यादा डर जाते हैं. जब वो वापस अपने घर के लिए रवाना होते हैं, तब उन्हें वो by-pass नज़र नहीं आता हैं. ये  सारी चीज़े उन्हें काफ़ी डरा देती हैं.

इस घटना के कुछ दिनों के बाद हीं अचानक प्रमोद की तबीयत ख़राब हो जाती हैं, वो बहुत बुरी तरीके से बीमार पड़ जाते हैं, प्रभात उन्हें कई बड़े-बड़े चिकित्सको से परामर्श के लिए ले जाता हैं लेकिन किसी भी चिकत्सक के दवाइयों से भी प्रमोद स्वस्थ नहीं हो पाते हैं. प्रभात और उसकी माँ को भी उनकी स्वास्थ्य की चिंता सताने लगती हैं. कई चिकत्सको से परामर्श के बाद भी प्रमोद की स्थिति वैसी हीं बनी रहती हैं. प्रभात को कुछ समझ नही आता हैं कि अब क्या किया जाए.

ये कहानी पूरी तरह से काल्पनिक हैं, इसका किसी भी अलौकिक घटना से कोई लेना-देना नहीं हैं. इस कहानी को किसी भी तरह के भ्रम फ़ैलाने के लिए नहीं लिखा गया हैं. इस कहानी को केवल मनोरंजन के तौर पर पेश किया गया हैं.

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ये कहानी पूरी तरह से काल्पनिक हैं, इसका किसी भी अलौकिक घटना से कोई लेना-देना नहीं हैं. इस कहानी को किसी भी तरह के भ्रम फ़ैलाने के लिए नहीं लिखा गया हैं. इस कहानी को केवल मनोरंजन के तौर पर पेश किया गया हैं.

Publish by :- sahil sahani’s blog ( https://sahaniblogg.blogspot.com )


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