Water conservation blogs in Hindi

 


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आज का टॉपिक हैं दोस्तों Water Conservation के बारे में, इसे लेकर चल रहे विचारो के बारे में. ना कि How to save water.

दोस्तों आज बात करेंगे जल संरक्षण [Water Conservation] के बारे में. मुझे उम्मीद हैं कि आप सभी को पता होगा कि पृथ्वी पर पीने योग्य जल की मात्रा बहुत ही कम हैं समुद्र में उपस्थित जल के मुकाबले. जब हम छोटे थे तब समझते थे की पृथ्वी तो सागर का ग्रह हैं, यहाँ जमीन के मुकाबले पानी बहुत ज्यादा हैं!हम चाहे कितना भी पानी खर्च करें, इससे हमारे जीवन पर कोई असर नही पड़ने वाला हैं. लेकिन आज जब मैं/हम जब इतने बड़े हो गये तब हमे समझ आता हैं की सागर में पानी बढे या घटे इसे हम कभी पी नहीं सकते हैं. ये अलग बात हैं की आज मानव प्रोद्योगिकी के जरिए सागर के पानी को पीने योग्य पानी में बदलने की कोशिश की जा रही हैं, लेकिन इसका भी इस्तेमाल हम सीमित तौर पर ही कर सकते हैं, क्यूंकि हमारी प्रकृति काफ़ी संतुलित तरीके से चलती हैं और इनमे किसी भी चीजों की कमी से हमे भारी तबाही झेलनी पड़ सकती हैं. जैसा की हमने बचपन में पढ़ा था की हमे पीने योग्य पानी- नदियों, तालाबो, झीलों, बारिशों, भू-जल और हिम् स्रोतों से प्राप्त होती हैं. और ये सब संतुलन से चलता हैं.

अगर हम मिडिल-ईस्ट देशों की बात करे तो वहां पीने योग्य पानी के स्रोत के रूप में नदियों, तालाबो, झीलों, बारिशों, भू-जल का कोई मतलब हीं नहीं हैं क्यूंकि गर्मी और रेतीले जगह बहुत ज़्यादा हैं और रेतीले इलाको वर्षा एकदम नाम मात्र की होती हैं. और जब बारिश का पानी ही नहीं बचेगा तब नदियों, तालाबो, झीलों और भू-जल की उपलब्धता काफ़ी कम होगी. इसीलिए ये सभी चीजे हमे सोच-समझ कर ही खर्च करनी चाहिए.

 

और अगर हम पश्चिमी देशों की बात करें तो एक रिपोर्ट के मुताबिक,

1990 में, अमेरिका में 30 राज्यों ने ‘जल-तनाव’ की स्थिति की सूचना दी. 2000 में, जल-तनाव की रिपोर्ट करने वाली राज्यों की संख्या 40 तक बढ़ी. 2009 में,संख्या 45 हो गई. देश भर में पानी की आपूर्ति में एक बिगडती प्रवृति हैं. इसीलिए ये सभी चीजे हमे सोच-समझ कर ही खर्च करनी चाहिए.

आप देख सकते हैं कि पानी को लेकर विश्व में क्या माहौल हैं! लेकिन इन सब में एक ख़ुशी की बात हैं भारत के लोगों के लिए-

हमें ये जान कर ख़ुशी होगी की भारत भी उन देशों में एक हैं, जहाँ पीने योग्य पानी का विशाल भंडार उपलब्ध हैं. क्यूंकि भारत में वर्षा भी अच्छी-ख़ासी होती हैं, यहाँ भौगोलिक रूप से कई प्राकृतिक रूप से कई नदियाँ बहती हैं, यहाँ झीलों-तालाबों की मात्रा भी काफ़ी हैं और भू-जल की मात्रा भी बाकी देशों की तुलना में अधिक हैं. मगर चिंता का विषय ये हैं कि दिन-प्रतिदिन इसकी मात्रा घटती जा रही हैं. और इन सब के बावजूद सोचने वाली बात ये भी हैं कि इतना बड़ा पानी का भंडार होने के बावजूद भारत के कई शहरों-गांवों पीने योग्य पानी, या तो नगरपालिका द्वारा समय अनुसार मिलता हैं या फिर मिलता ही नहीं हैं. मैं भी जब कक्षा 9 में था, तब मैंने पढ़ा था की भारत में एक ओर जहाँ लोग घंटो लाइन लगाकर पानी के ट्रक का इंतजार करते हैं वहीँ दूसरी ओर बड़े घर के लोग पीने के शुद्ध पानी का इस्तेमाल अपनी गाड़ियों को धोने में सैकड़ो लीटर पानी बर्बाद कर देते हैं और सिर्फ बड़े घर के ही लोग नहीं बल्कि कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें पानी के पाइप से पानी का छिड़काव करने में उन्हें अच्छा लगता हैं, वे लोग भी इसी सब में हज़ारों लीटर पानी के बर्बादी का कारण बनते हैं. क्यूंकि वे लोग पढ़े-लिखे अशिक्षित होते हैं. और ये काफ़ी दुखद बात हैं.

भारत के कई गाँव के लोग आज भी ना-जाने कितने किलोमीटर रोज़ाना पैदल तय करते हैं सिर्फ पानी लाने के लिए. आज के ऐसे दौर में जहाँ समय सबसे कीमती हैं, दिन के चार घंटे तो सिर्फ उनके कुछ लीटर पानी लाने में बीत जाते हैं. अब आप ही समझिये की उनका विकास कैसे होगा! और ये सिर्फ भारत के हीं लोगो की बात नहीं हैं, ये उन सभी के लिए हैं जिन्हें आज भी ऐसे हाल में जीना पड़ रहा हैं.

भारत सरकार और जल विभाग द्वारा आमजनों के बीच वो सारे तरीक़े बताये जा रहे हैं जिससे हम ज़्यादा से ज़्यादा पानी को बचा सके और उसे दोबारा इस्तेमाल में ला सके. जैसे- Rain Water Harvesting, Don’t Run the Hose While Washing Your Car इत्यादि चीजे. यहाँ तक कि उच्च विद्यालयों के बच्चो के पाठ्यक्रम में भी अध्याय जोड़े जा चुके हैं, इन सब तरीको के बारे में! मगर लोगो को लगता हैं कि मुफ़्त का पानी हैं या फिर हमारे पास बहुत पैसे हैं, पानी की कीमत तो दे हीं रहे हैं. हमे पानी की बचत करने की कोई जरूरत नही हैं, “फलाना-फलाना”!

‘पानी की बचत सुविधाओं का उपयोग करके आप अपने घर के पानी के उपयोग को 35% तक कम कर सकते हैं. इसका मतलब यह हैं कि औसत घर, जो प्रति वर्ष 130,000 गैलन का उपयोग करता है, प्रति वर्ष 44,00 गैलन पानी बचा सकता हैं’! मगर हमारे भारत में अजीब मनोस्थिति वाले लोग हैं. जो अपर-मिडिल क्लास के लोग हैं वे पानी बचाने के बदले कहेंगे कि “ये सब गरीब लोगों का काम हैं, हमलोगों को ये सब करने की कोई जरूरत नही हैं!” और यहीं पर जो लोअर-मिडिल क्लास या गरीब लोग प्यासे रह जाते हैं. जो बहुत ही गलत बात हैं.

How to save water and its tips and tricks इसके अगले article में आप पढ़ सकते हैं.

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