Great speech of The World by Azim Premji
मैं इस लेख में उद्योगपति अज़ीम प्रेमजी के द्वारा दी गयी कुछ स्पीचेस शेयर करूंगा, जो हमारी जिंदगी में कुछ महत्वपूर्ण फ़ैसले में मददगार साबित हो सकते हैं। और इसके साथ ही उन्होंने एक खरगोश के बारे में कहानी बताया कि,
‘एक खरगोश को खरगोशों के स्कूल में भर्ती किया गया। दूसरे खरगोशों कि तरह वो बढ़िया कूदता था, लेकिन तैर नही सकता था। साल के अंत में उसे कूदने के लिए सबसे अच्छे अंक मिले लेकिन वो तैराकी में फ़ैल हो गया। उसके पेरेंट्स को चिंता हुई। पैरेंट्स ने खरगोश से कहा कि- कूदने के बारे में भूल जाओ, उसमे तो तुम अच्छे ही हो... सारा ध्यान तैराकी पर लगाओ. उन्होंने खरगोश की तैराकी कि ट्यूशन शुरू करवा दी. बताइए आगे क्या हुआ? खरगोश भूल गया कि कैसे कूदते हैं, जहां एक तैराकी का सवाल है, क्या आपने किसी खरगोश को तैरते देखा हैं?’
ठीक इसी तरह कुछ हमारी जिंदगी हैं. हम जिसमे अच्छे हैं, हमें जरूरत है की हम उसमें निपुण बने। क्यूंकि हर इंसान हर काम नहीं कर सकता अच्छे से. और उस चीज चीज़ को सीखने के चक्कर में हमें जो पता हैं, हम वो भी भूल जाते हैं।
आइए शुरू करते हैं।
अज़ीम प्रेमजी, जिंदगी में हार और जीत के सबक के बारे में।
'अपने विचारों पर पूरा भरोसा रखिए भले दुनिया कहती रहे- आप गलत हैं’
‘आप युवाओं से मिलना हमेशा अच्छा लगता हैं। जिंदगी की यह बात मज़ेदार है कि आप चीजों कि कीमत करना तब शुरू करते हैं, जब वो साथ छोड़ने लगते हैं। अब जब बाल काले-सफ़ेद से सिर्फ सफ़ेद हो रहे है तो युवा होने का महत्व समझना शुरू किया है। और इसी दौर में मैंने इस सफ़र में सीखे कुछ सबक भी सराहने शुरू किये है। मुझे लगता है ये आपके भी काम आएंगे।
सबसे पहली चीज जो मैंने सीखी वो यह है कि हमें अपनी मजबूत बातों के साथ ही शुरुवात करनी चाहिए। यह जानना भी उतना ही जरूरी है कि हम किन बातो में अच्छे नही है, लेकिन जो हमसे अच्छा है उसका आनंद जरुर उठाना चाहिए। ऐसा करना इसीलिए जरुरी है कि हमारी मजबूत बाते ही कमजोरियों को दूर करने की ताकत बनती है। स्कूलिंग के शुरूवाती दिनों से ही हर कोई उसी बारे में बात करता है कि हममे क्या गलत या कमजोर है।
एक जरुरी सीख यह भी है कि कोई भी सौ में से सौ दावं नही जीतता है। जिंदगी में कई चुनौतियां आएंगी। कुछ आप जीतते है और कुछ आप हारेंगे। जीतका जश्न जरूर मनाना चाहिए, लेकिन उसे सिर पर नही चढ़ने देना चाहिए। जैसे ही आप ऐसा करेंगे तो अपनी हार कि राह पर होंगे। अगर जीवन में हार मिलती है तो उसे भी सामान्य तौर पर ही लीजिये। इस हार के लिए ना खुद को सजा दीजिये ना ही दूसरों को। हार को स्वीकार कीजिये। अपने हिस्से कि समस्या से सीख लीजिये और आगे बढ़िए। महत्वपूर्ण यह है कि हारने के बाद, उससे सबक सीखना मत छोड़िये।
सबसे खास सीख जो मैंने हासिल कि वो यह है कि अपने विचारों पर पूरा भरोसा रखिए, फिर भले ही पूरी दुनिया आपको बताती रहे कि आप गलत हैं। अख़बार बेचने वाले का किस्सा बताता हूँ। उसका पाला एक खड़ूस ग्राहक से रोज़ पड़ता था। हर सुबह वो ग्राहक आता और बिना दुआ-सलाम का जवाब दिए अख़बार उठा लेता और पैसा अख़बार वाले कि तरफ फेंक देता। अख़बार बेचने वाला विनम्रता से मुस्कुराते हुए कहता ‘शुक्रिया सर’. एक दिन उस अख़बार वाले के यहां काम करने वाले लड़के ने पूछा ‘वो आपसे इतने बेरूख रहते हैं,फिर भी आप विनम्र बने रहते हैं? कल जब वो आएंतो आप भी तरफ अख़बार क्यूँ नही फेंकते?’ ,अख़बार वाला मुस्कुराया और विनम्रता से बोला ‘वो अपनी बेरुखी नही छोड़ता और मैं अपनी विनम्रता, फिर मै क्यों उसकी बेरूखी को अपनी विनम्रता पर हावी होने दूं?’
जब मैं भी नौजवान था तो खुद को बागी मानता था और कई दफा तो मैं बिना किसी वजह के ही बागी हो जाता था। आज मुझे अहसास होता है कि मेरे बागी होने में ही सहमती थी। हमे प्रतिक्रिया देने के बजाय जवाब देना सीखना होगा। जब हम जवाब देते है तो शांत दिमाग से आंकलन करते हुए जो सही महसूस होता है वो कहते हैं। हम पूरी तरह से आपे में होते हैं। जब हम प्रतिक्रिया देते हैं तो वो करते जो दूसरा इंसान हमसे करवाना चाहता है। याद रखिए, ‘जीतते वही हैं जो यकीन रखते हैं कि वो ऐसा कर सकते हैं।’
Credit: 9 फरवरी 2004 को मुंबई में ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन के कार्यक्रम में उद्योगपति अजीज प्रेमजी. (News Paper:- Dainik Bhasker)
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