बिज़नेस चलाए रखना भी अभी युद्ध करने जैसा ही हैं।  संवाद बेहद जरुरी.... नेपोलियन भी सैनिको क़ो रोज़ सन्देश भेजता था 

कोरोना का लीडर्स पर भी असर हुआ है जिससे नेतृत्व काफी हद तक प्रभावित हुआ है। बदलने जानकारियों के बीच लिए  निर्णय लीडर्स के लिए कठोर साबित  रहे हैं।  ऐसे  लीडर्स क्या करें कि उनकी समस्या का हल निकल सकें? हज़ारो-हज़ार साल से दुनिया के महान सेना अधिकारी हर परिस्थिति में चुनौतियों का डटकर सामना करते रहे हैं।  इतिहास के पन्ने पलटकर देखें तो लीडर्स इनसे बहुत कुछ सीख सकते हैं।  

सेना के 4 सबक, जो महामारी में बिज़नेस लीडर्स के काम आएंगे 

1.       1. नुकसान पर रोना छोड़ दीजिये

     सेना में सिखाया जाने वाला पहला सबक लीडर के लिए काफ़ी महत्वपूर्ण माना जा सकता हैं।  सेना में सिखाया जाने वाला पहला सबक यह हैं कि सबसे पहले हो चुके नुकसान पर रोना छोड़ दो।  नुकसान पर लगातार विचार कर समय नष्ट करने से बचना चाहिए। 1812  में, नेपोलियन द्वारा रूस को हराने के बाद मशहूर फील्ड मार्शल मिखैल कुत्ज़ोव अच्छी तरह जानते थे कि नेपोलियन के साथ पूरी तैयारी और मजबूती से लड़ने के लिए उन्हें मास्को छोड़ना होगा।  उन्होंने ऐसा ही किया और वे कामयाब भी हुए। 

2.       2. स्वम् भी मैदान में उतरें

       सेना के महँ और बहादुर अधिकारी वे होते हैं जो स्वयं भी मैदान में उतर कर अपने सैनिकों के साथ कंधे-से-कन्धा मिलाकर लड़ाई लड़ते हैं। जैसा कि दुसरे प्यूनिक युद्ध में हैनिबल ने किया था। वेलिंग्टन के इस शासक ने यह टिप्पणी भी की थी कि युध्ह के मैदान में अकेले नेपोलियन कि उपस्थिति ही 40,000 सैनिकों के बराबर लग रही थी। कठिन परिस्थितियो के दौरान या चुनौतीपूर्ण माहौल में डरने और घबराने कि बजाय लीडर को अपनी टीम के साथ मजबूती से खड़े रहना चाहिए जिससे टीम का मनोबल व आत्मविश्वास बढ़ सके। 

3.      3. नियमित संवाद बनाये रखें

      युद्ध में हिस्सा लेने वाले लीडर को यह बात अच्छी तरह पता होती है कि संवाद बनाये रखना कैसे और क्यूँ जरूरी हैं। वो जानते हैं कि लगातार बात करने से उनके  लोगो की हिम्मत बंधती हैं। दूसरे विश्वयुद्ध के सम्वाददाता एडवर्ड आर. मर्रो ने लंदन से एक रिपोर्ट जारी कर बताया था कि ‘चर्चिल ने अंग्रेजी भाषा को भी युद्ध के मैदान तक पंहुचा दिया हैं।’ नेपोलियन भी हर दिन अपने सैनिकों को छोटा-बड़ा प्रेरणात्मक संदेश जरुर भेजा करता था. इस तरह वो उनकी हिम्मत और आत्मविश्वास बढ़ता था। इससे सैनिकों का मनोबल भी बहुत बढ़ता था। 

4.     4.  आराम करने का समय दें

      सैन्य अधिकारी अपने लिए ज्यादा समय नही निकाल पाते है लेकिन मैदान में युद्ध लड़ने वाले सैनिक को भोजन के साथ आराम भी चाहिए और साथ ही थोड़ा मनोरंजन भी चाहिए। महामारी के इस दौर में जब लोग अपनी क्षमताओ से बढकर, जरूरत से ज्यादा काम कर रहे है तो ऐसे में लीडर्स को यह ध्यान रखना होगा कि कर्मचारियों को पर्याप्त आराम मिल रहा है या नही? उनके वीकेंड्स में उन पर अनावश्यक काम का बोझ तो नही पड़ रहा? या उन्हें छुट्टी लेने के लिए परेशान तो नहीं होना पड़ रहा है?

      

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