आजकल मन में एक ही चिंता सता रहीं हैं कि, कब तक हम ऐसे रहेंगे. कहीं जाओ बाहर तो मन में डर रहता हैं कि

कहीं, किसी ऐसे से तो नहीं मिल रहे ना जो nCOVID + हों. कितने लोग यही सोच कर चिंतित हो रहे हैं कि, मुझे हुआ

तो कोई बात नहीं, मेरी इम्युनिटी मजबूत हैं, मगर माँ-पिताजी को इसके संक्रमण में आने से बचाना हैं।, बच्चों को,

बाहर से आकर ऐसे ही कोई गोद में ना ले लें , इत्यादि चीजें। और इन सब में मैं भी हूँ, जो ज़्यादातर यही चीजें सोच

रहा हूँ. राज्य सरकारों ने हमे छूट तो दे दी, लेकिन कहीं ये छूट, हमें कोई पछतावा करने पर मजबूर ना कर दे,

इसका ख़्याल हमें रखना हैं।  इससे पहले के एक पोस्ट में मैंने लिखा था कि कैसे हम इन संकट की घड़ी में चूहों से

सीख़ सकते हैं, nCOVID के संक्रमण में आने से बचना। अगर आपने मेरी वो पोस्ट नहीं पढ़ी तो कोई बात नहीं

मैं उसका लिंक इस पोस्ट के नीचे शेयर करूँगा।  हाँ, तो मैं बात कर रहा था कि, कई लोग आजकल यही सोच रहे

हैं कि, गलती से भी कोई परेशानी हम घर में ना ले आएं, बहुत सारे लोग, जिन्हें थोड़ी सी भी खाँसी हो रहीं हैं. उनके

मन में भी डर हो जा रहा हैं कि, कहीं मैं nCOVID + तो नहीं हो गया ना।  सच बताऊँ तो मेरे मन में भी ये डर हैं,

लेकिन सिर्फ़ खांसने से नहीं , बल्कि अगर आपको बुख़ार जैसा लगे तब डरने की ज़्यादा जरूरत हैं. और अभी वर्षा

का मौसम हैं, ऐसे में सर्दी-खांसी और बुख़ार आम बात हैं, लेकिन इस साल 2020 में ऐसा नहीं हैं. इस साल किसी

को थोड़ी सी भी छींक या ख़ासी हो जाये तो लोग डर जा रहें हैं,कि कहीं इसे nCOVID तो नहीं हैं. ख़ैर ! अब तो

अक्टूबर महीना आ गया हैं, अर्थव्यवस्था ज़्यादा तेज़ी देखने को नहीं मिला हैं, काफ़ी लोग यही सोच के परेशान हैं,

कि क्या इस साल धंदे में तेज़ी आएगी भी की नहीं।  जो लोग पारम्पारिक तरीक़े से चले आ रहे धंधे में इसी लिए

निवेश नहीं कर रहे हैं, ये सोच कर की. कहीं धंधे में घाटे का मुँह न देखना पड़े कि जो है हाथ में वो भी न निकल

जाए।  वहीं दूसरी ओर जो लोग नए तरीक़े से निवेश में यकीन रखते है. वे लोग खुले मन से, लाभ प्राप्त कर रही

उद्योगों में निवेश कर रहे हैं. और लाभ प्राप्त कर रहे हैं। और इस नए तरीक़े के निवेश. जोकि, नया नहीं हैं।, जिसे

शेयर मार्केट कहा जाता हैं। और अब कुछ ही दिनों में नवरात्रि आने वाला हैं, लेकिन ये नवरात्रि, बाकि सालो के

नवरात्रि से अलग से बीतने वाला हैं, जैसा की बाकी सारे त्यौहार बीते हैं. लेकिन हम सब भारतीय हैं. रुकने कहाँ

वाले हैं। यहाँ खुशियाँ मनाने के हज़ार तरीक़े हैं और कोई भी तरीक़ा हम भारतीयों से छुप थोड़ी सकता हैं। क्यों हैं

ना दोस्तों!!

चलिए धन्यवाद आपका इस लेख को पढ़ने के लिए. और अगर आपलोगो ने मेरी पोस्ट Achhi Aadat नहीं पढ़ी तो

जरूर पढियेगा, आशा करता हूँ की आपलोगो को पसंद आएगी।