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आत्मा का बदला

 

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आत्मा का बदला

यह कहानी जो मैं आपके सामने पेश कर रहा हूँ, इस कहानी का शीर्षक हैं ‘आत्मा का बदला’. और इस कहानी के शीर्षक से हीं आप इसकी आधी कहानी आप समझ सकते हैं और पूरी कहानी जानने के लिए इस कहानी को पूरी जरुर पढ़े। 

 

सुबह की ताज़ी ठंडक हवाएं बह रही थी! थाने में थानेदार विजय सिंह बैठे थे और सुबह की चाय के साथ, सुबह की ताज़ी हवा का आनंद ले रहे थे। तभी अचानक कमरे में एकदम कुहासा-सा हो गया. सामने मेज़ पर रखी कलम तक ठीक से नहीं दिख रही थी। एक आदमी थाने में आया विजय सिंह के कमरे में, कुहासा कम हुआ तो विजय सिंह ने देखा एक आदमी उनके कमरे के बाहर हैं. उस आदमी का नाम विनोद था। वो अंदर आया. विजय सिंह से उसे बैठने को कहा. विनोद ने कहा- “एक शिकायत दर्ज करानी हैं”, विजय सिंह ने कहा- “बोलो क्या शिकायत हैं, तुम्हारी?”. विनोद ने बताया कि “भीलगाँव के सीमेंट फैक्ट्री में उसकी लाश हैं”. विजय सिंह चौंक गया. विजय ने कहा “मज़ाक कर रहे हो! तुम्हे झूट बोलने के जुर्म में गिरफ्तार किया जा सकता हैं”. विनोद ने फ़िर अपनी पूरी बात बताई। वह उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव, शाहगंज का रहने वाला था. कुछ ही महीने पहले उसकी शादी हुई थी. उसकी पत्नी बहुत खूबसूरत थी और वह काम करने के लिए अपनी पत्नी के साथ भीलगाँव आया था। वो वहाँ के मकान में किराये पर रहता था। उसके घर से करीब 10 km की दूरी पर उसके काम करने की जगह थी। वह सुबह 6 बजे अपने काम पर निकलता था और उसे वापस आते-आते करीब रात के 10 बज जाया करते थे. घर वापस आने के रास्ते में, एक शराबखाना था. वो वहां जाया करता था. देखते ही देखते कुछ महीने और बीत गये। 

विनोद की शराबखाने के मालिक यानी कमलेश के साथ अच्छी मित्रता हो गई. वह रोज़ाना घर वापस जाते समय शराबखाने में जाता था। एक दिन उसे घर लौटने में काफी देर हो गई, विनोद ने कहा  “आज बहुत देर हो गई हैं, यार! तुम्हारी भाभी बहुत गुस्सा करेगी”, कमलेश बोला “चलो मैं तुम्हें आज घर छोड़ देता हूँ! भाभी को मैं बोल दूंगा की तुम मेरे कारण देर हो गये”, उसकी बात मानते हुए विनोद उसे भी अपने घर ले गया। दोनों घर पहुंचे। कमलेश ने विनोद की पत्नी देखा तो उसकी नज़रे नही हट रही थी उस पर से। कमलेश को उसकी पत्नी पसंद आ गई थी. उसने अबतक इतनी सुंदर महिला आजतक नही देखी थी।

विनोद के काम पर चले जाने के बाद, कमलेश उसके पीठ-पीछे उसके घर जाने लगा। विनोद की पत्नी और कमलेश दोनों में मित्रता हों गई, विनोद के काम पर चले जाने के बाद अक्सर कमलेश उसके घर जाने लगा. दोनों आपस में शारीरिक संबंध भी बनाने लगे और विनोद को उसकी भनक तक नहीं लगी. लगभग कई महीनों तक ऐसा चलता रहा। 

एक दिन की बात हैं, विनोद अपने काम पर गया और जल्दी छुट्टी लेकर अपने काम से लौट गया। वो सीधे कमलेश के शराबखाने गया लेकिन कमलेश, विनोद को वहां नहीं मिला. वह तुरंत अपने घर गया. उसने अपने कमरे के बाहर किसी मर्द की चप्पल देखी। इसीलिए उसने दरवाजा नहीं खटखटाया और सीधे दरवाजे को धक्का देकर खोला। उसने देखा की कमलेश और उसकी पत्नी दोनों ही आपत्तिजनक स्थिति में हैं. विनोद को वहां देखकर दोनों के पैरो तले जैसे जमीन खिसक गई। कमलेश उठा और जल्दी से निकल गया। उसकी पत्नी उससे नज़र नहीं मिला सकी। इस घटना के कई दिनों के बाद तक कमलेश विनोद से नही मिला और ना ही विनोद के घर गया। 

इस घटना के कई दिन हो जाने के बाद सबकुछ सामान्य-सा हो गया. कमलेश और विनोद को आपस में मिले हुए भी कई दिन हो गये थे। एक दिन विनोद, कमलेश के शराबखाने पहुंचा, शराब पीने के लिए. कमलेश, विनोद को वहां देखकर चौंक गया. उसने विनोद से माफ़ी मांगी अपने उस हरकत के लिए। विनोद ने कहा “छोड़ो उन बातों को, चलो पीते हैं”, कमलेश के चेहरे पर यह बात सुनते ही मुस्कान आ गई! लेकिन कमलेश के मन में कुछ और ही था. कमलेश ने कहा “आज जितना पीना हैं पीओ, आज की शराब मेरी तरफ से, इसके पैसे नहीं लूँगा मैं।”.  कमलेश ने विनोद को इतनी शराब पिलाई की विनोद को होश तक ना था, और विनोद को उसके घर छोड़ देने की बात कहकर वो भी उसके साथ जाने लगा! रास्ते में एक बंद पड़ी सीमेंट फैक्ट्री में कमलेश विनोद को ले गया, शौच के बहाने से. सीमेंट फैक्ट्री में जाने के बाद, कमलेश ने विनोद को एक पाइप के पास बैठा दिया. और एक कोने में जाकर उसने भीलगाँव के थानेदार, “बच्चू प्रसाद” को बुलाया! वहां बैठे विनोद को कुछ होश ना था. कमलेश ने थानेदार के साथ मिलकर विनोद को मारने की योजना बनाई थी। इतने में कमलेश, विनोद के पास आया और बंदूक निकाल कर कुछ गोलियां उसके पेट में मारी. इससे विनोद अधमरा हो गया! कमलेश ने लगातार कई गोलियां विनोद पर चलाई. और वहां से निकल गया! धीरे-धीरे विनोद के शरीर से काफ़ी खून बह गया और इससे विनोद की मौत हो गई। इस घटना के काफी दिन हो गये, विनोद की पत्नी को विनोद के बारे में कुछ पता नहीं चला और कमलेश भी विनोद के घर जाना छोड़ चुका था। 

इतना सब सुनने के बाद थाने में से कुहासा थोड़ी और कम हुई, अब विजय सिंह उसके शरीर में कई गोलियों के निशान देख पा रहा था! और उसके शरीर से बह रहे खून भी। विजय सिंह चौंक गया ये देखकर। ये सारी बातें बताने के बाद विनोद वहां से जाने लगा, उसके जाने के साथ-साथ थाने में फ़ैली कुहासा भी खत्म हो गई। विजय इन बातों को सुनकर काफ़ी हैरान था. विजय ने भीलगाँव के थाने में सम्पर्क किया तो पता चला कि थानेदार बच्चू प्रसाद कई दिनों से थाने नहीं गये हैं, और उनका कुछ अता-पता नहीं हैं।

अगले दिन थानेदार विजय सिंह और उनका ड्राईवर भीलगाँव के लिए रवाना हुए। भीलगाँव पहुँचने के बाद सबसे पहले वे थाने गये। थाने में ना ही उन्हें बच्चू प्रसाद मिले और ना ही कोई FIR, जो विनोद के नाम का हो। आस-पास के लोगों से उन्होंने विनोद के घर का पता पूछा. और लोगो द्वारा बताये गये पते पर गये. विजय सिंह ने जब कमरे का दरवाज़ा खटखटाया तो अंदर से एक सुंदर महिला सफ़ेद साड़ी पहने बाहर निकली, वो विनोद की पत्नी थी। विनोद की पत्नी ने विजय को घर के अंदर बुलाया। विजय सिंह ने जब विनोद की पत्नी को बताया कि विनोद की मृत्यु हो गई हैं तो, उसकी पत्नी फूट-फूट कर रोने लगीं. उसने कहा-“ये सब मेरे कारण हुआ हैं”. जब विजय सिंह ने पूछा की “आपको ये सब कब पता चला?” तो उसने बताया कि “कल रात में विनोद उसके सपने में आये थे! और उन्होंने बताया कि उनकी मृत्यु हो गई हैं, और गाँव के पुराने सीमेंट फैक्ट्री में उनकी लाश हैं!”. ये सब सुनने के बाद जब विजय सिंह, सिपाहियों और उसकी पत्नी के साथ सीमेंट फैक्ट्री गये तो उन्होंने देखा की सच में विनोद की लाश उस पाइप के पास पड़ी हुई थी! और उसके शरीर में लगी गोलियों की संख्या भी ठीक उतनी हीं जितना विनोद की आत्मा ने विजय को बताया था। विनोद की लाश देखकर उसकी पत्नी और ज्यादा रोने लगीं. इधर सिपाहियों द्वारा फैक्ट्री को अच्छे से तलाशें जाने के दौरान उन्हें  फैक्ट्री के एक अलग हिस्से में एक और लाश मिली और वो लाश थानेदार बच्चू प्रसाद की थी।

विजय ने, विनोद की पत्नी से कमलेश के खिलाफ़ FIR दर्ज़ कराई और उसे गिरफ्तार करने के लिए उसके शराबखाने गये। विजय सिंह ने शराबखाने की दरवाज़ा खोलने की कोशिश की लेकिन दरवाज़ा नहीं खुला! और अंदर से आवाजें आ रही थी किसी के कहराने की! जब बलपूर्वक उन्होंने दरवाज़ा खोला तो उन्होंने देखा कि, कमलेश खून से लथपथ अपनी आख़िरी साँसे ले रहा था! उन्होंने अपने पास से विनोद की आत्मा को वहां से जाते हुए देखा। जैसे-जैसे विनोद की आत्मा दूर जा रही थी, कमलेश अपनी मौत के करीब जा रहा था। उन सबने आख़िरी बार विनोद की आत्मा को अपने सामने देखा. जैसे विनोद की आत्मा सबके आँखों से ओझल हुई, कमलेश की मृत्यु भी हो गई। इस तरह से विनोद की आत्मा ने अपनी मौत का बदला पूरा किया। 

***************************************************The End*******************************************************

 

ये कहानी पूरी तरह से काल्पनिक हैं, इसका किसी भी अलौकिक घटना से कोई लेना-देना नहीं हैं. इस कहानी को किसी भी तरह के भ्रम फ़ैलाने के लिए नहीं लिखा गया हैं. इस कहानी को केवल मनोरंजन के तौर पर पेश किया गया हैं.

Publish by :- sahil sahani’s blog ( https://sahaniblogg.blogspot.com )

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